Author name: ananyaanwita

शनि देव के 108 नाम

शनि देव के 108 नाम  शनि देव को न्याय का देवता माना गया है। शनि देव के 108 नामों का जाप करने से शनिदेव प्रसन्न हो जाते हैं  तथा साढ़े साती का प्रभाव भी कम हो जाता है।  शनि देव के 108 नाम इस प्रकार है – ऊँ शनैश्चराय नमः ऊँ शान्ताय नमः ऊँ सर्वाभीष्टप्रदायिने […]

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श्री राम जी के 108 नाम

1) ऊँ श्री  राम रामाय नम: 2)ऊँ श्री राजीव लोचनाय नम: 3) ऊँ श्री रामभद्राय नम: 4) ऊँ श्री राजेन्द्राय नम: 5) ऊँ श्री जानकी पतये नम: 6) ऊँ श्री परमेश्वराय नम: 7) ऊँ श्री जनार्दनाय नम: 8) ऊँ श्री शत्रुजिते नम: 9) ऊँ श्री सर्वज्ञाय नम: 10) ऊँ श्री बालिमर्दनाय नम: 11) ऊँ श्री

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Vishnu ji ke 108 naam

श्री विष्णु जी के 108 नाम  श्रीविष्णुष्टोत्तरशतनामावलिः ॐ विष्णवे नमः ॐ लक्ष्मीपतये नमः ॐ कृष्णाय नमः ॐ वैकुण्ठाय नमः ॐ गरुडध्वजाय नमः ॐ परब्रह्मणे नमः ॐ जगन्नाथाय नमः ॐ वासुदेवाय नमः ॐ त्रिविक्रमाय नमः ॐ दैत्यान्तकाय नमः ॐ मधुरिपवे नमः ॐ तार्क्ष्यवाहनाय नमः ॐ सनातनाय नमः ॐ नारायणाय नमः ॐ पद्मनाभाय नमः ॐ हृषीकेशाय नमः

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सोम प्रदोष व्रत कथा | Som Pradosh Vrat Katha in Hindi

एक नगर में एक ब्राह्मणी रहती थी । उसके पति का स्वर्गवास हो गया था । उसका अब कोई आश्रयदाता नहीं था, इसलिए प्रातः होते ही वह अपने पुत्र के साथ भीख मांगने निकल पड़ती थी । भिक्षाटन से ही वह स्वयं व पुत्र का पेट पालती थी । एक दिन ब्राह्मणी घर लौट रही

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माघ मास संकट चतुर्थी,  तिल चौथ व्रत  की कहानी (Til chauth ki kahani – 2)

एक गांव में दो  भाई रहते थे। बड़ा भाई बहुत अमीर और छोटा भाई बहुत ही गरीब था, वह जंगल से लकड़ियां लेकर आता और बेचता था। वह अपने परिवार के लिए दो वक्त की रोटी भी नहीं जुटा पाता था। बड़े भाई की पत्नी  पैसे वाली होने के कारण बहुत घमंडी थी और दूसरी

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सोमवार व्रत कथा (Somvar Vrat Katha)

किसी नगर में एक धनी व्यापारी रहता था। दूर-दूर तक उसका व्यापार फैला हुआ था। नगर के सभी लोग उस व्यापारी का सम्मान करते थे। इतना सब कुछ संपन्न होने के बाद भी वह व्यापारी बहुत दुःखी था, क्योंकि उसका कोई पुत्र नहीं था। जिस कारण अपने मृत्यु के पश्चात् व्यापार के उत्तराधिकारी की चिंता

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विष्णु सहस्रनाम (Vishnu Sahasranam)

भगवान श्री विष्णु के एक हजार नामों की महिमा अवर्णनीय है। इन नामों का संस्कृत रूप विष्णुसहस्रनाम के प्रतिरूप में विद्यमान है। श्री विष्णुसहस्रनाम पाठ करने वाले व्यक्ति को यश, सुख, ऐश्वर्य, संपन्नता, सफलता, आरोग्य एवं सौभाग्य प्राप्त होता है, एवं मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। शुक्लाम्बरधरं विष्णुं शशिवर्णं चतुर्भुजम् ।प्रसन्नवदनं ध्यायेत् सर्वविघ्नोपशान्तये ॥१॥ यस्य द्विरदवक्त्राद्याः पारिषद्याः

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श्री दुर्गा के 108 नाम (Shri Durga 108 Name)

1. सती- अग्नि में जल कर भी जीवित होने वाली2. साध्वी- आशावादी3. भवप्रीता- भगवान् शिव पर प्रीति रखने वाली4. भवानी- ब्रह्मांड की निवास5. भवमोचनी- संसार बंधनों से मुक्त करने वाली6. आर्या- देवी7. दुर्गा- अपराजेय8. जया- विजयी9. आद्य- शुरूआत की वास्तविकता10. त्रिनेत्र- तीन आँखों वाली11. शूलधारिणी- शूल धारण करने वाली12. पिनाकधारिणी- शिव का त्रिशूल धारण करने

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हनुमान द्वादश नाम स्तोत्रम – मंत्र (Hanuman Dwadash Naam Stotram)

॥ श्री हनुमानद्वादशनाम स्तोत्र ॥हनुमानञ्जनीसूनुर्वायुपुत्रो महाबल: । लक्ष्मणप्राणदाता च दशग्रीवस्य दर्पहा ॥ एवं द्वादश नामानि कपीन्द्रस्य महात्मन: ।स्वापकाले प्रबोधे च यात्राकाले च य: पठेत् ॥ तस्य सर्वभयं नास्ति रणे च विजयी भवेत्।राजद्वारे गह्वरे च भयं नास्ति कदाचन ॥ हनुमानजी के 12 नाम:1- हनुमान2 – अंजनिपुत्र3 – वायुपुत्र4 – महाबल5 – रामेष्ट6 – फाल्गुनसखा7 – पिंगाक्ष8

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संकट  मोचन हनुमानाष्टक (Sankatmochan Hanuman Ashtak)

॥ हनुमानाष्टक ॥बाल समय रवि भक्षी लियो तब,तीनहुं लोक भयो अंधियारों ।ताहि सों त्रास भयो जग को,यह संकट काहु सों जात न टारो ।देवन आनि करी बिनती तब,छाड़ी दियो रवि कष्ट निवारो ।को नहीं जानत है जग में कपि,संकटमोचन नाम तिहारो ॥ १ ॥ बालि की त्रास कपीस बसैं गिरि,जात महाप्रभु पंथ निहारो ।चौंकि महामुनि

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